इंसाफ (Justice) के लिए नीयत (Intention) साफ और नीति (Policy) स्पष्ट होनी जरूरी है। (For the justice clear Intention and the policy must be clear.)
कितने दिन पहले स्वामी विवेकानन्द ने यह बात कही थी कि "भारत का निर्माण करना है तो ब्राह्मणवाद को पैरों तले कुचल डालो।" पता नहीं कही भी या नहीं? मान लिया जाये उन्होंने यह बात कही थी। लेकिन उनके ऐसा कहने से हुआ क्या? कुछ नहीं हुआ! ऐसे में इन बातों को वर्तमान पीढी के समक्ष दौहराने से हासिल क्या होने वाला है? जब तक ऐसे निराशाजनक, नकारात्मक और असफल विचार नयी पीढी को प्रसारित-प्रचारित होते रहेंगे, मानव मनोविज्ञान के सिद्धांत के अनुसार ब्राह्मणवाद लगातार मजबूत होकर आगे बढ़ता रहेगा। इन दिनों देखा जा रहा है कि वंचित समुदाय केवल नये-नये दुश्मन खड़े करता रहता है, लेकिन समस्याओं के समाधान पेश करने में सृजनात्मक परिश्रम नहीं करता। सवाल यह क्यों नहीं कि कोई भी किसी को क्यों कुचले? जो मुझे नहीं पसन्द, वही किसी दूसरे को क्यों मंजूर होगा? यदि हम संविधानवादी हैं तो अनुच्छेद 21 में हर एक मानव की गरिमा की कद्र करने की बात क्यों न करते? हम सौहार्द, समानता और भ्रातृत्व की बात क्यों नहीं करते? क्या हम नयी पीढ़ी को अपराधी या कट्टर या निकम्मी या हारी हुई बनाना चाहते हैं? हालात यही रहे तो नयी पीढ़ी सोशल मीडिया पर केवल हो-हल्ला करके चुप हो जाने वाली है! युवाओं का सारा गुस्सा और आक्रोश ऐसे ही जाया हो जायेगा। जबकि इंसाफ के लिये सतत बौद्धिक आंदोलनों की जरूरत होती है। जो इन हालातों में जन्म ही नहीं ले पायेंगे और समाज में बराबरी तथा इंसाफ कभी कायम ही नहीं हो पायेंगे। इंसाफ के लिए नियत साफ और नीति स्पष्ट होनी जरूरी है। एक स्पष्ट मकसद होना जरूरी है, चाहे सामने भाई हो या दुश्मन?-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, 9875066111, 07.02.2018
No comments:
Post a Comment