जीवन का मतलब जिन्दा होना मात्र नहीं है, बल्कि इच्छानुसार जीना है।
इस आसानी से समझी जा सकने वाली स्वाभाविक बात में भी भारतीय संस्कृति के स्वघोषित संरक्षकों को स्वच्छंदता नज़र आती है और उनकी स्वपरिभाषित भारतीय संस्कृति को खतरा महसूस होने लगता है। इस कारण "जीवन का मतलब जिन्दा होना मात्र नहीं है, बल्कि इच्छानुसार जीना है।" ऐसी सोच रखने वालों को समाज विरोधी घोषित करने में ये लोग पीछे नहीं रहते हैं। ऐसी सोच के ठेकेदार भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रति सर्वाधिक चिंतित दिखाई देते हैं। ऐसे में इन लोगों से पंगा लेने का मतलब है कि वे आपको कभी भी राष्ट्र विरोधी घोषित कर दें।
देश तो सुरक्षित है।असुरक्षा उन्हें महसूस होने लगती है जिनकी कोई संस्कृति नहीं है इसलिए देश भक्त बनने का नाटक करके स्वयं सुरक्षा लेते है व व्यवसाय कर रहे है।
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