यदि पैरों में जान नहीं तो पहाड़ पर चढ़ने की जिद क्यों। यदि बीवी को संभाल नहीं सकते तो विवाह करने की तमन्ना क्यों? अपनी हैसियत और हिम्मत की परिधि में ही बंधे रहोगे तो जीवन नाली के कीड़ों की तरह सड़ता तथा रेंगता रहेगा। हौंसले तथा तमन्नाओं को पंख दीजिए। जिससे उड़ने की ख्वाहिश पैदा हो। बेशक उड़ न पाओ पर बिन घबराये सरपट दौड़ तो सको। जोहार।-आदिवासी ताऊ, WA 8561955619
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वैज्ञानिक प्रार्थना
Thursday 7 October 2021
आपका कद छोटा, रंग काला, सिर गंजा और शक्ल अनाकर्षक है, तो भी आपको अपने आप से बेपनाह मोहब्बत करनी चाहिए।
आपका कद छोटा, रंग काला, सिर गंजा और शक्ल अनाकर्षक है, तो भी आपको अपने आप से बेपनाह मोहब्बत करनी चाहिए। क्योंकि आपके लिए यही सर्वस्व है। दूसरों का सुंदर शरीर आपके किसी काम का नहीं। आपने इस शरीर को स्वस्थ रखकर, आप सुंदर शरीर के बाद भी बीमार रहने वाले को मात दे सकते हैं। जोहार। आदिवासी ताऊ, WA 8561955619
व्यक्तिगत सेवा और समाज सेवा दोनों में बहुत अंतर होता है।
06.06.2016 को मेरा बड़ा एक्सीडेंट हुआ था। जिसकी जानकारी सोशल मीडिया पर पोस्ट की गयी। मिलना तो दूर 2-4 को छोड़ किसी ने फोन तक नहीं किया। जबकि उस समय मैं सामाजिक सेवा में अब से अधिक एक्टिव एवं पापुलर था। मगर मुझे चाहने वाले न जाने कहाँ गुम हो गए। अब जब मैं अपने मूल काम (स्वास्थ्य सेवा) पर लौट आया हूँ तो मुझे चाहने और मुझ से व्यक्तिगत रूप से मिल कर मेरे जैसे अनाम व्यक्ति के दर्शन करने की चाहत रखने वाले (पेशेंट्स रूपी) मित्रों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन खेद है, मैं Only Online सेवा करता हूँ। अब निवास पर बुलाकर सेवा करने और घण्टों गप्प लगाने हेतु समय नहीं। अब मैं बहुत बदल चुका और हर दिन तेजी से बदल रहा हूँ। यद्यपि मेरे योग्य कोई वास्तविक सामाजिक सेवा हो तो मैं हाजिर रहूंगा। जोहार। आदिवासी ताऊ, 8561955619, 30.09.2021
स्वास्थ्य से बड़ी कोई दौलत नहीं
स्वास्थ्य से बड़ी कोई दौलत नहीं, लेकिन इसकी कीमत का अहसास तब होता है, जब हम अपना स्वास्थ्य खो चुके होते हैं। जोहार।
शरीर की निरन्तर देखरेख बहुत जरूरी
जैसा भी है, आपका शरीर ही आपकी सबसे बड़ी दौलत तथा सबसे बड़ा आलीशान महल है। अंतिम सांस तक आपको इसी में रहना है। इसलिये इसकी निरन्तर देखरेख बहुत जरूरी है। जोहार।-आदिवासी ताऊ, वाट्सएप 8561955619
माता-पिता की सेवा न कर पाने का अपराधबोध मनोरोगी बना देता है।
माता-पिता की सेवा न कर पाने का अपराधबोध मनोरोगी बना देता है। अतः बाद में पछताने और रोने से बेहतर है, समय रहते माता-पिता और परिवारजनों के प्रति कर्त्तव्यों का निर्वाह किया जाए। जोहार।
Wednesday 22 September 2021
निरोगी काया और...
निरोगी काया और बद से बदतर हालातों का धैर्यपूर्वक सामना करने की समझ, मानव जीवन के दो अनमोल तोहफे हैं। जोहार। आदिवासी ताऊ, 85619-55619, 22.09.2021
Friday 10 September 2021
सरकारी कुर्सी और पद का अहंकार
जिन लोगों को सरकारी कुर्सी का अहंकार होता है और जो पद के अहंकार में दूसरों का न मात्र अपमान करते हैं, बल्कि जानबूझकर या प्रॉपर ध्यान न देकर अहित भी करते हैं। ऐसे लोगों को कुर्सी छिन जाने पर मैंने बुढ़ापे अपमानित होते हुए तथा पिटते हुए भी देखा है। अतः सभी लोक सेवकों को सरकारी कुर्सी पर बैठकर खुद को जनता का मालिक नहीं, बल्कि खुद को जनता का सेवक (नौकर) समझकर दायित्यों का निर्वाह करें।डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा-राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) 9875066111
Sunday 22 August 2021
तीव्र चाहत के बिना आरोग्य असम्भव
अधिकांश लोग अपनी तकलीफों का कारण नहीं जानते और कारण जानना भी नहीं चाहते हैं। कारण जानने के बजाय उनकी रुचि बीमारी का नाम जानने तथा जैसे-तैसे तुरन्त रिलीफ (राहत) पाने में होती है। जबकि 50% से अधिक लोग तो गलत खानपान तथा सोने-जागने की गलत आदतों के कारण ही बीमार रहते हैं। यही लोग आगे चलकर अनेक लाइलाज बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं और ताउम्र गोलियां गटकते रहते हैं। जो लोग सिर्फ रिलीफ चाहते हैं, वे कभी पूर्ण स्वस्थ हो ही नहीं सकते, क्योंकि आरोग्य उनकी चाहत है ही नहीं। बिना तीव्र चाहत के आरोग्य असम्भव है। जोहार।-आदिवासी ताऊ, WA No.: 8561955619
Saturday 21 August 2021
सोचने तथा समझने का अपना नजरिया भी बदलें।
मेरा मकसद केवल अस्वस्थ लोगों को स्वस्थ करना ही नहीं है, बल्कि मैं कोशिश करता हूं कि मुझ से व्यक्तिगत रूप से उपचार हेतु सम्पर्क करने वाले सभी लोग जिंदगी जीने का तरीका तथा जीवन में उत्पन्न होने वाले हालातों के प्रति सोचने तथा समझने का अपना नजरिया भी बदलें। जिससे आप हमेशा ऊर्जा तथा प्रफुल्लता से भरे रहें और स्वस्थ होने के बाद फिर कभी बीमार नहीं हों। यदि आप मेरी इस व्यवस्था में विश्वास करते हैं तो आपका स्वागत है। जोहार। आदिवासी ताऊ, वाट्सएप नं.: 8561955619, 21.08.2021, 20.50
Monday 16 August 2021
दुनिया की जरूरतें पूरी नहीं हो सकती।
इस दुनिया के लिये हम खुद को दफन कर दें, फिर भी दुनिया की जरूरतें पूरी नहीं हो सकती। मगर बिना खुद को वक्त दिये दुनिया तो क्या अपने परिवार तक की जरूरतें पूरी नहीं हो सकती। इसलिये सबसे पहले हर व्यक्ति को अपने आप के लिये नियमित रूप से क्वालिटी टाइम देना चाहिये, ताकि दूसरों के लिये काम आने लायक फिट और हेल्दी बने रह सकें। जोहार। आदिवासी ताऊ WA No.: 85619-55619. 16.08.2021, 19.46
Sunday 15 August 2021
जो बदलना नहीं चाहते, वे अपने परिवार पर बोझ बनकर, दवाइयों के सहारे जिंदगी को घसीटते रहेंगे।
अधिकतर लोगों की खानपान और नशे की आदतें, उन्हें बीमार बनाती हैं। 99.99% डॉक्टर सिर्फ दवाई देते हैं। इसीलिए रोगी हमेशा बीमार और डॉक्टर के ग्राहक बने रहते हैं। सर्वप्रथम मैं पेशेंट से विस्तार से बात करके, नशा छुड़वाता हूँ, खानपान की आदतें बदलवाता हूँ और व्यायाम करने को प्रेरित करता हूॅं। साथ में आदिवासी जड़ी-बूटी और पोषक तत्व देता हूँ। जरूरी होने पर काउंसलिंग भी करता हूं। जो पेशेंट खुद को बदलने को सहमत हो जाते हैं, वे 100% स्वस्थ हो जाते हैं। जो बदलना नहीं चाहते, वे अपने परिवार पर बोझ बनकर, दवाइयों के सहारे जिंदगी को घसीटते रहेंगे। निष्कर्ष: जब तक पेशेंट सहयोग न करे, उसे स्वस्थ करना मुश्किल है, क्योंकि सिर्फ दवाइयों के भरोसे रोगमुक्ति असम्भव है। जोहार। आदिवासी ताऊ, WA-8561955619. 15.08.2021, 08.53.
Thursday 8 March 2018
महिला दिवस
Wednesday 7 February 2018
इंसाफ (Justice) के लिए नीयत (Intention) साफ और नीति (Policy) स्पष्ट होनी जरूरी है। (For the justice clear Intention and the policy must be clear.)
Saturday 28 October 2017
व्यवसाय, भावनाएं और राजनीति (Business, Emotion & Politics)
Monday 23 October 2017
संविधान का उल्लंधन क्यों?
Sunday 22 October 2017
जेहनी जहरखुरानी
Monday 17 July 2017
सुख और दु:ख का राज है: चिन्तन पद्धति और विचारशैली
Sunday 16 July 2017
विचार, चिन्तन और सोचने का अन्दाज
Tuesday 4 October 2016
ऐसे निर्दयी रिश्तों और समाज का मूल्य क्या है?
1. अपने पूर्वाग्रहों के चलते बेटे अपने ही पिता की हत्या करने को उद्यत/prepared रहते हैं। मारपीट आम बात बन चुकी है। अनेक बार पिता की हत्या तक कर दी जाती हैं।
2. पिता द्वारा अपने ही बेटों में से किसी एक कमजोर बेटे के साथ साशय/intentionally और क्रूरतापूर्ण विभेद किया जाता है। जिसकी कीमत वह जीवनभर चुकाने को विवश हो जाता है।
3. रिश्वत तथा उच्च पद की ताकत से मदमस्त कुछ भाईयों द्वारा अपने से कमजोर भाई या भाईयों के साथ सरेआम अपमान, विभेद तथा नाइंसाफी की जाती है।
Wednesday 2 March 2016
आत्मीय मित्र समाधान सिद्ध होते हैं।
Tuesday 19 January 2016
'यौन—शिक्षा' और 'फैमिली काउंसलिंग'
Thursday 24 December 2015
बुद्धत्व को शब्दों और सिद्धान्तों में नहीं बांधा जा सकता, केवल अनुभव किया जा सकता।
1. बुद्ध ने नियम और सिद्धान्तों से मुक्त सहजता तथा सरलता से जीवन जीने की बात पर जोर दिया। इसके विपरीत बुद्धधर्मानुयाईयों ने बुद्धधर्म को अनेक सिद्धान्तों में बांध दिया है। जो बुद्ध को असहज बना रहे हैं। जिन पर विस्तार से फिर कभी चर्चा की जायेगी।
2. वर्तमान भारत में बुद्धानुयाई बनने में कोई अड़चन नहीं। कोई आचरणगत बाध्यता नहीं, लेकिन पूर्वोल्लेखुनसार बुद्धधर्मानुयाई बनते ही 'हिन्दू विवाह अधिनियम' से शासित होने की वैधानिक बाध्यता, बाधक है।
3. बुद्धधर्मानुयाईयों ने बुद्धधर्म को अनेक सिद्धान्तों में बांध दिया और सरकार ने बुद्धधर्म को एक प्रकार से हिन्दू धर्म का हिस्सा या हिन्दू धर्म की शाखा बना दिया है। इन दोनों ही स्थितियों को ठीक करवाना प्रत्येक बुद्धधर्मानुयाई दायित्व का होना चाहिये।
Saturday 19 December 2015
बिखरता जीवन संभाला जा सकता है-एक दूसरे के प्रति-सम्मान का भाव, निष्ठा, विश्वास, पारदर्शिता और निष्कपट स्नेह, दाम्पत्य के प्रेमरस की कुंजी एवं पुख्ता आधारशिला हैं।
शुभाकांक्षी और स्नेही
Saturday 16 August 2014
जीवन का मतलब-Meaning of Life?
Sunday 13 July 2014
मौत और प्रेम
Saturday 14 June 2014
फादर्स-डे : माता-पिता को अपने नहीं, उन्हीं के नजरिये से समझें।
जो अपने-अपने माता-पिता से स्नेह करते हैं, करना चाहते हैं या किसी कारण से अपने स्नेह को व्यक्त नहीं कर पाते हैं। उनको मेरी यही है राय-माता-पिता चाहे गुस्से में कितना भी कड़वा बोलें, चाहे आप पर कितना ही नाराज हो लें, मगर वे रोते हैं-अकेले में अपने बच्चों के लिये और बिना बच्चों के माता-पिता पंखहीन पक्षी होते हैं। बच्चे माता-पिता की आस, आवाज, तमन्ना, सांस और विश्वास होते हैं। बच्चे माता-पिता के बगीचे के फूल होते हैं। भला ऐसे में बच्चों के बिना कोई माता या पिता कैसे खुश या सहजता से जिन्दा भी रह सकता है? सच में यही है माता-पिता का सम्मान कि उनको अपने नहीं, उन्हीं के नजरिये से समझें।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
लड़की का बॉय फ्रेण्ड, श्रुति तुम भी पागल हो अपने खड़ूस पिता के लिये इतना मंहगा कार्ड सिलेक्ट कर रही हो?
श्रुति, देखो बंटी कम से कम आज तो मेरे फादर को कुछ मत बोलो। माना कि मेरे फादर थोड़े कंजूस हैं, मगर तुम्हारी श्रुति को उन्होंने ही तो तुम्हारे लिये इतना बड़ा किया है।
बंटी, ठीक है जल्दी करो कोई सस्ता सा कार्ड खरीद लो वैसे भी बुढ्ढे लोग फादर्स डे की इम्पार्टेंस क्या जानें?
मोहित, प्रीति जरा मेरी मदद करो आज फादर्स डे है, कोई ऐसा सुन्दर सा कार्ड छांटने में मेरी मदद करो, जिसे देखकर मेरे डैड खुश हो जायें और मुझे नयी बाइक के लिये रुपये दे दें।
प्रीति, फिर तो मजा आ जायेगा। यदि तुम्हारे डैड ने नयी बाइक दिला दी तो फादर्स डे के कार्ड की कीमत मैं दूंगी।
सेठ जी मेरे बेटे का डॉक्टरी की पढाई के लिये एडमीशन करवाना है, जिसके लिये मेरे मकान को गिरवी रख लो, मगर मुझे हर महिने बेटे को भेजने के लिये जरूरी रकम देते रहना। मैं सूद सहित आपके कर्जे की पाई-पाई अदा कर दूंगा। जब तक कर्जा अदा ना कर दूं मेरा बीस लाख का मकान आपके यहां गिरवी रहेगा।
पत्नी, देखोजी अपने बच्चे स्कूल जाने लायक हो गये हैं। इनको किसी ठीक से स्कूल में पढाने के लिये जुगाड़ करो।
पति, मेरे पास इतने रुपये कहां हैं, मुश्किल से पांच-छ: हजार रुपये कमा पाता हूं। डेढ हजार तो मकान किराये में ही चले जाते हैं। बाकी से घर का खर्चा ही मुश्किल से चलता है।
पत्नी, कोई बात नहीं मैं झाड़ू-पौछा किया करूंगी, लेकिन बच्चों को जरूर अच्छे से स्कूल में पढाना है। हम तो नहीं पढ सके मगर बच्चों के लिये हम कुछ भी करेंगे।
पति, ठीक है तू ऐसा कहती है तो मैं भी इस बार नये कपड़े नहीं बनवाऊंगा, लेकिन बच्चों को जरूर अच्छे स्कूल में पढने डालेंगे।
कैसे उतारेगे पितृॠण, यह समझ में ना आये!
कहां ढूंढे उन्हें हम, जिन्होंने जीवन के पहले पाठ पढ़ाये?
जब तक वो थे, ना कर सके मन की बात!
आज वो दूर हैं, तो ढूंढ रहे हैं दिन रात!!
हाथ पकड़ कर जिन्होंने हमें था चलना सिखाया!
आज नहीं रही है, हमारे उपर उनकी छत्रछाया!!
कितना कुछ कहना सुनना था, सब रह गयी अधूरी बात!
अब तो केवल सपनों में, होती है मुलाकात!!
जीवन भर संघर्ष करके, दिया हमे सुख सुविधा आराम!
अपने सपनों में खोये रहे हम, आ ना सके आपके काम!!
ईश्वर से है यही प्रार्थना, कर ले वो आपका उद्धार!
आपके चरणों की सेवा, का अवसर मिले मुझे बार बार!!
हर जनम में मिले बाबूजी, केवल आपका साथ!
पथ प्रदर्शक बन के पिता, आप फिर थामना मेरा हाथ!!
आपकी तपस्या व साधना, नहीं हो सकती है नश्वर!
अमर करेगा इस नाम को देकर पितृॠण राजेश्वर!!
‘‘एक जमाना था, जब हमारे पिता हमें अपनी गलती बताये बिना हमारे गालों पर तड़ातड़ थप्पड़ जड़ दिया करते थे। हम खूब रो लेने के बाद अपने पिता के सामने बिना अपना अपराध जाने हाथ जोड़कर माफी मांग लेते थे। पिता फिर भी गुस्से में नजर आते थे। हॉं रात को मॉं बताती थी कि बेटा तुमको पीटने के बाद तुम्हारे बाबूजी खूब रोये थे। जबकि आज हालात ये है कि बेटा बिना कोई कारण बताये अपने पिता को खूब खरी-खोटी सुना जाता है और अपनी पत्नी के साथ घूमने निकल जाता है। शाम को पिता अपने बेटे के समक्ष नतमस्तक होकर बिना अपना गुनाह जाने माफी मांगता है, लेकिन बेटा पिता से कुछ बोले बिना उठकर पत्नी और बच्चों के साथ जा बैठता है। लेकिन पौता ये सब देख रहा है और सूद सहित अनुभव की पूंजी एकत्रित कर रहा है।’’
Wednesday 2 April 2014
स्त्री और पुरुष का रिश्ता शरीर, मन, दिल और आत्मा का मार्ग पूरा करने से पहले ही मर जाता है।
Monday 27 January 2014
औरत और मर्द के बीच नफरत और विभेद की दीवार
Sunday 26 January 2014
तात्कालिकता से प्रभावित हो तत्काल प्रतिक्रिया
Wednesday 25 December 2013
नियति को स्वीकार कर लेना क्या पौरुषहीनता है?
Thursday 19 December 2013
Sunday 15 December 2013
"आत्मा की आवाज़" बनाम "लोग क्या कहेंगे?"
Saturday 14 December 2013
खुद का अनुभव-Own Experience
Tuesday 19 November 2013
वास्तविक सवाल अनुकूल या मनपसन्द साथी पाने का नहीं, अपने अनुकूल बनाने का है।
Wednesday 21 August 2013
जीवन का मतलब-The Meaning of Life
Sunday 21 July 2013
आज का काम आज-Today's Work Today
Friday 21 June 2013
सतीत्व-Chastity
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
मैं लम्बे समय से दाम्पत्य सलाहकार के रूप में जरूरतमंदों को अपनी सेवाएँ प्रदान करता रहा हूँ। जिससे प्राप्त अनुभवों को मैं विभिन्न सन्दर्भों में व्यक्त करता रहता हूँ! इसी कड़ी में यहाँ कुछ विचार व्यक्त हैं:-
जब किसी वजह से ये सम्बन्ध उजागर होते हैं तो कुछ तो आत्महत्या कर लेती हैं और कुछ तलाक मांग लेती हैं, जबकि अनेक नव विवाहिता दहेज़ उत्पीडन का मामला दर्ज करा देती हैं! आज की पीढी के पुरुषों को, स्त्री के साथ पुरुषों के पूर्वजों द्वारा आदिकाल से किये जाते रहे विभेद की सजा मिल रही है। इसके उपरांत भी ये कतई भी नहीं समझा जाना चाहिए कि आज का पुरुष मासूम या निर्दोष है।
Monday 17 June 2013
Saturday 8 December 2012
झूँठन
Friday 21 September 2012
मारता है, हर पल-Kills, every moment
"Love not Kills"
"Kills, every moment"
Feeling of separation!
The pain of losing forever
Again, sorry for being unable to obtain!
"Kills, every moment"
Saturday 25 August 2012
बोलना-Speak
इंसान को बोलना सीखने में तीन साल लगते हैं,
लेकिन क्या बोलना चाहिए, ये सीखने में पूरी जिन्दगी बीत जाती है!
Person takes three years to learn to speak,
But what to say, they are learning through the entire life!
Thursday 16 August 2012
बूढ़े होकर भी हम, बूढ़े होने का इंतजार करते रहते हैं! लेकिन वृद्ध होने तक हमारा सब कुछ समाप्त हो चुका होता है!
Tuesday 12 June 2012
भावनात्मक एवं सकारात्मक सहारे की जरूरत!
Wednesday 9 May 2012
प्यार, अपनापन, विश्वास और सम्मान
Thursday 8 March 2012
सत्संग : शान्ति के साथ सच्चे-सुख और स्वास्थ्य की प्राप्ति!
Wednesday 7 March 2012
सबसे गहरा रंग!
Thursday 23 February 2012
सत्य, मन, विवेक और हृदय
Wednesday 22 February 2012
अपना और सपना
Monday 13 February 2012
मन और मस्तिष्क का अन्तरसम्बन्ध
Sunday 12 February 2012
अनिश्चय
Thursday 9 February 2012
Sunday 25 December 2011
स्वजनों का महत्व!
यदि हम अपने आज को ठीक से समझकर आज ही सही निर्णय लेंगे तो जहॉं एक ओर हमारा आने वाला कल सार्थक होगा, वहीं दूसरी ओर हमें अपने गुजरे कल को सम्पूर्णता से नहीं जी पाने का मलाल भी नहीं रहेगा। परन्तु जीवन को सम्पूर्णता से जीने के लिये जरूरी होता है कि सभी स्वजन आपस में एक दूसरे का महत्व हृदय से समझें। जो आज के समय में सबसे मुश्किल है।