बहुत कम लोग जानते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने आपका निर्माण खुद ही करता है! हम प्रतिदिन अपने परिवार, समाज और अपने कार्यकलापों के दौरान बहुत सारी बातें और विचार सुनते, देखते और पढ़ते रहते हैं, लेकिन जब हम उन बातों और विचारों में से कुछ (जिनमें हमारी अधिक रुचि होती है) को ध्यानपूर्वक सुनते, देखते, समझते और पढ़ते हैं तो ऐसे विचार या बातें हमारे मस्तिष्क में अपना स्थान बना लेती हैं! जिन बातों और विचारों के प्रति हमारा मस्तिष्क अधिक सजग, सकारात्मक और संवेदनशील होता| जिन बातों और विचारों के प्रति हमारा मस्तिष्क मोह या स्नेह या लगाव पैदा कर लेता है! उन सब बातों और विचारों को हमारा मस्तिष्क गहराई में हमरे अन्दर स्थापित कर देता है! उस गहरे स्थान को हम सरलता से समझने के लिये "अंतर्मन" या "अवचेतन मन" कह सकते हैं! जो भी बातें और जो भी विचार हमारे अंतर्मन या अवचेतन मन में सुस्थापित हो जाते हैं, वे हमारे अंतर्मन या अवचेतन मन में सुस्थापित होकर धीरे-धीरे हमारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर अपना गहरा तथा स्थायी प्रभाव छोड़ना शुरू कर देते हैं! जिससे हमारे जीवन का उसी दिशा में निर्माण होने लगता है!
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