आप किसी से प्रेम करिये या नफ़रत करिये या अन्य कोई व्यवहार करें। आपके बाहरी प्रकट व्यवहार को दूसरे लोग बाद में देखते हैं और जो कुछ भी लोगों को दिखाई देता है, वह सब दिखने से पहले आपके अन्दर घटित होता है। अत: आपके द्वारा प्यार या नफरत या ईर्ष्या जिस किसी के प्रति या जिसके भी विरुद्ध प्रकट किये जाते हैं, उससे कहीं अधिक ये सब आपके अन्दर घटित होते हैं। क्योंकि इन सबका मूल कारण या भाव आपके मन और ह्रदय के अन्दर से पैदा होता है। इसलिए हमको विचार करना चाहिए कि हम आपने मन और हृदय में क्या उत्पन्न कर रहे हैं? साथ ही यह भी जानना और समझना चाहिए की जो कुछ हमारे अन्दर उत्पन्न हो रहा है, वह हमारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर कैसा प्रभाव छोड़ रहा है? इस प्रकार हम स्वयं ही अपना निर्माण और विनाश कर रहे हैं!
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वैज्ञानिक प्रार्थना
Friday, 23 December 2011
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